उपराष्ट्रपति नायडू ने विलुप्त हो रही जनजातीय भाषाओं पर चिंता जताई; कहा- आदिवासी बोलचाल अपनी मूल भाषा में ही करें

मंडला. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव में भाग लेने मंडला पहुंचे। उन्होंने देश में विलुप्त हो रही जनजातीय भाषाओं पर चिंता जाहिर की। उन्होंने जनजातीय समाज को लेकर कहा कि उन्हें अपनी मूल भाषा को ही अपने घर की बोलचाल की भाषा बनाना चाहिए। उन्हें आधुनिक परिवेश की भाषा का उच्चारण नहीं करना चाहिए। जैसा आज हर तरफ मम्मी, डैडी का चलन हो रहा है। उन्हें अपनी ही बोली और भाषा में। जैसा की गोंड परिवार में मां को 'बउ' कहा जाता है, वही उन्हें कहना चाहिए। 


उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में जनजातीय समुदाय के विकास के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा समृद्धि और संस्कारों का संरक्षण और संवर्धन के लिए अधिक प्रयास किए जा रहे हैं। हमारे जनजातीय भाइयों और बहनों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं शुरू की हैं। जनजातीय शिल्प, वस्त्र उत्पादों के बाज़ार में उपलब्ध कराने के और अधिक प्रयास किए जा रहे हैं। आदिवासी संस्कृति संस्कारों और उनकी ललित कलाओं पर भी शोध किया जा रहा है।